दस महाविद्याओं में से अष्टम महाविद्या माँ बगलामुखी को माना गया है। शास्त्रों अनुसार माँ बगलामुखी को पीतांबरा, बगला, ब्रह्मास्त्र विद्या के नामों से भी जाना जाता है। मनुष्यों को जीवन की सभी प्रकार की बाधाओं और पापों से मुक्ति दिलाने वाली माँ बगलामुखी की पूजा दिन एवं मध्य रात्रि में की जाती है एवं पूजा में पीले रंग की सामग्री होने से पूजन का शुभ फल निश्चित रूप से मिलता है। मान्यता है कि माँ बगलामुखी पूजन मनुष्य को तमाम तरह की समस्याएं और शत्रु से जुड़ी हर बाधाओं से मुक्ति दिलाने में कारगर है।
इनकी कृपा मात्र से भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त होने के साथ ही, उसे कोर्ट-कचहरी के सभी वाद-विवाद में भी सफलता मिलती है। इतना ही नहीं इस पूजन से राजनीती या राजनेता में या उससे जुड़े किसी भी कार्य में व्यक्ति के आगे बढ़ने के मार्ग भी माँ उजागर करने का कार्य करती है। इस पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाता है वैसे तो मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही है क्यों कि माँ बगलामुखी स्वयं सिद्ध है और 7 ब्राह्मणो या पुरोहित के माध्यम से माँ बगलामुखी का अनुष्ठान पूजन 7 दिनों में संपन्न किया जाता है।
बगलामुखी अनुष्ठान के विशेष फल:
संतान सुख की प्राप्ति होती है।
रोगों से निवारण मिलता है।
विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है।
धन, संपत्ति और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।
राजनीतिक छेत्र में विजय श्री प्रदान करती है
माँ बगलामुखी अनुष्ठान:
माँ बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और यह सभी आंतरिक और बाह्य शत्रुओं जैसे कि क्रोध, लोभ, मोह आदि को हराने में मदद करता है। हम सभी नियमों और अनुष्ठानों का पालन करके इस अनुष्ठान को करते हैं। माना जाता है कि देवी बगलामुखी के पास परम शक्तियां हैं जो सभी समस्याओं और पापों को दूर करती हैं और भक्तों के जीवन में विजय और वीरता सुनिश्चित करती हैं। इस अनुष्ठान में अज्ञानता को ज्ञान में बदलने की शक्तियां हैं, सभी आंतरिक और बाहरी शत्रुओं को हराने के लिए व्यक्ति अपनी छिपी हुई शक्तियों की खोज करने में सक्षम है जो उसे जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।