सम्मोहन तंत्र पूजा

सम्मोहन के प्रकार :
वैसे सम्मोहन के कई प्रकार हैं, लेकिन मुख्‍यत: 5 प्रकार माने गए हैं-
1. आत्म सम्मोहन
2. पर सम्मोहन
3. समूह सम्मोहन
4. प्राणी सम्मोहन
5. परामनोविज्ञान सम्मोहन।

  • आत्म सम्मोहन : वास्तव में सभी प्रकार के सम्मोहनों का मूल आत्म सम्मोहन ही है। इसमें व्यक्ति खुद को सुझाव या निर्देश देकर तन और मन में मनोवांछित प्रभाव डालता है।
  • पर सम्मोहन : पर सम्मोहन का अर्थ है दूसरे को सम्मोहित करना। इसमें सम्मोहनकर्ता दूसरे व्यक्ति को सम्मोहित कर उसके मनोविकारों को दूर कर उसके व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक निर्देश दे सकता है या उसके माध्यम से लोगों को चमत्कार भी दिखा सकता है।
  • समूह सम्मोहन : किसी भीड़ या समूह को सम्मोहित करना ही समूह सम्मोहन है। माना जाता है कि यह सम्मोहन करना आसान है, क्योंकि व्यक्ति एक-दूसरे का अनुसरण करने में माहिर है। इसमें सम्मोहनकर्ता पूरी सभा या किसी निश्‍चित समूह को एक साथ सम्मोहित करने की क्षमता रखता है।
  • प्राणी सम्मोहन : पशु और पक्षियों को सम्मोहित करना ही प्राणी सम्मोहन कहलाता है। अक्सर सर्कस में रिंगमास्टर प्राणी सम्मोहन करते हैं। इसके लिए वे तीव्र विद्युत प्रकाश, बहुत शोर-शराबे, मनुष्यों की भीड़, चोट पहुंचाकर, मृत्यु होने आदि के भयों की कृत्रिम रचना करके किसी भी प्राणी या पशु-पक्षी की आंखों में आंखें डालकर देखते हैं तो वह सम्मोहित हो जाता है, हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है।
  • परामनोविज्ञान सम्मोहन : परामनोविज्ञान का विषय बहुत ही विस्तृत है लेकिन इसकी शुरुआत सम्मोहन से ही होती है। इसके अंतर्गत किसी दूर बैठे व्यक्ति या समूह को सम्मोहित करना, अपने पूर्व जन्म के बारे में जानकारी पाना, सम्मोहित अवस्था में किसी की खोई हुई वस्तु का पता लगाना, आत्माओं से संपर्क करना, भूत, भविष्य और वर्तमान में घटने वाली घटनाओं को जान लेना आदि कार्य शामिल हैं।

इसमें व्यक्ति सम्मोहन की इतनी गहरी अवस्था में जाकर पूर्णत: ईथर माध्यम से जुड़ जाता है। यह अवस्था किसी योगी या सिद्धपुरुष से कम नहीं होती।

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