माँ बगलामुखी के भक्त की महिमा

अर्थात है पिताम्बरा बगलामुखी आ परम विद्या हो तीनो लोक की जननी हो मुसीबतों का नाश करने वाली हो शत्रु की जिव्हा को किलिल करने वाली त्रिशूल धारणी है। भगवती आप ही हो जब से में आप के मंदिर आकर आप के दर्शन किये तब से मुझे आत्म शक्ति मिल गई है आखो से अंधेरा हट गया है लड़खड़ाते पाँव में खड़े रहने की शक्ति आ गई है। जब ही तो धर्म ग्रंथ कहते है कि आप वर दे शप्रिया वीर भूषण भूषिता हो।

तुम आदिशक्ति हो यह ज्ञान बहुत देर बाद मिला तो शत्रुओ का नाश करने वाली त्रिशूल धारणी हो, तुम्हारे द्वार पर जो भक्त रोते हुए आता ओर हस्ते हुए जाता है बहुत देर से ज्ञात हुआ संसार मे इस लिए कहते है तुम बगलामुखी सर्वेति दुस्टानाम त्वाचमे च मुखं पदम स्तम्येति जिव्हांकीलय बुद्धि मत विनाशये ति तारणच स्थिर स्थिर मायान्ततो वदेत।

तुम कालाछी कालिका काली धवानन सुंदरी हो।

इस लिए विश्व के समस्त तांत्रिक तुम्हारे चरणों में माथा टेक तंत्र प्रयोग करते है में दिन हु, दुखी भयभीत हु,अज्ञानी हु। मंत्र जप आदि के विधान से परिचित नही हु। केवल चरणों मे आराधना के लिए केवल पुष्प लाया हूं। अश्रुओं की धारा लाया हूं। इस अश्रुधारा से कहि तेरे पवित्र चरण भीग नही जाए, इसलिए मंदिर की चोखट पर बेठकर अश्रुधारा बहा रहा हु। मेरे परिवार को संकट से बचा के मेने आचार्यो, संतो एव भक्त्तों से सुना है कि तुम सिद्ध विद्या, सिद्ध माता, सिद्ध सिद्धस्वरूपिणी हो। हरा हरिप्रिया हारा हरिणी हाटयुक तथा हरिरूपा, हरिधार, हरिगाक्षि, हरिप्रिया हेलुप्रिया है तुरता हित हिट स्वरूपणी हो। क्षमा क्षमा क्षिता क्षुद्रघष्टाविमषणा हो। इन्द्रप्रिया च इंद्राणी इन्द्रप्रस्त निवासिनी इन्द्राक्षी इन्द्रव्रजा च इन्द्रम धोक्षणि हो।

अध्वेद एवं द्वैत का ज्ञान मुझे समझ नही आया। निर्गुण सगुण की परिभाषा नही समझ पाया। ज्योतिषियो के बताए गए ग्रह दोषों को समाप्त करने के लिए धन लुटा चुका हूं। मगर लाभ के स्थान हानि उठा रहा हु। संकटों का पहाड़ का स्वरूप बढ़ता ही चला जा रहा है। टोटके तंत्रों से आस्था टूट चुकी है तेरे चरणों को अब पढ़कर सत्य कर रहा हूं मां अब मैं कहीं नहीं भट्ट को तेरे चरण तब तक नहीं छोडूंगा जब तक आप प्रसन्न हो मेरे परिवार को संकटों से मुक्त नहीं करोगी क्योंकि तुम परब्रह्मा स्वरूपा हो तुम श्री श्रींकारा महाविद्या श्रद्धा वती हो आप खाली करा ली कालिया चकला दैत्य विनाशिनी हो मां मुझे अब तो शत्रु से बचा लो पुराण स्मृतियां दर्शन शास्त्र तंत्र शास्त्र आपके गुणगान का 24 घंटे जब करते रहते हैं मैं तो बालक मेरी विनती को स्वीकार लो आर्थिक संकटों से बचा लो शत्रुओं ने चारों तरफ से घेर लिया है आप नहीं तो कौन बचाएगा क्योंकि आप दुर्गा शिवा शांति करी ब्रह्माणी ब्राह्मण प्रिया हो पितांबरा परिधाना पीतगंधनुलेवना मां अब मुझे आशीर्वाद देकर सारे संकटों से मुक्त कर दो यही मेरी प्रार्थना है।